Falling for my Heart Criminal - 1 simran द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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Falling for my Heart Criminal - 1

हैदराबाद ........

शाम 5 बजे

कोर्ट के बहार .........

एक लड़की रोते हुए एक आदमी से हाथ जोड़कर कुछ कह रही थी "पापा इसमें मेरी कोई गलती नहीं है सब मन्नत ने किया है मुझे वो शख्श जानबुझकर घसीट रहा है... प्लीज पापा आप मुझे छुड़वा ले.... .please dad"

वो लड़की जो इस वक्त रो रही थी उसने इस वक्त लाल रंग का सूट पहना था उसके बाल सिर्फ कंधे तक आ रहे थे, जिसकी उसने पोनी बनाई हुई थी पेरो में फ्लैट चप्पल, भूरी आंखे, सांवला रंग, गर्दन पर एक तिल, नैन नक्श जो उसे खूबसूरत बना रहे थे।

जो आदमी उस लड़की से मुंह फेरे खड़ा था वो अचानक से मुड़ता है और गुस्से से कहता है, " आज के बाद से तुम्हारा मुझसे और मेरा तुमसे कोई नाता नहीं है! मुझे पता होता है कि तुम सोशल मीडिया का इतना गलत इस्तेमाल करते हो, मैं तुम्हारा उसी दिन वो फोन तोड़ देता! आज के बाद तुम मेरे लिए मर गयी हो।"

वो आदमी इतना ही कहता है और वहां से चला जाता है, वही साषी अपनी लाल आँखों से गुस्से से एक लड़की को देखती है जिसकी आँखों से इस वकत आंसू बह रहे थे, वो लड़की अपनी आंखे नीचे करके खड़ी थी, उसका फेयर कलर , उसने इस वकत ब्लू कलर की जीन्स के साथ वाइट कलर की टीशर्ट डाल रखी थी, उसकी घनी पलके जो इस वक्त आंसू से भीगी हुई थी कमर से नीचे जाते बाल, उस लड़की ने इस वकत वाइट कलर के शूज पहने थे ।

साषी एक दम से खड़ी होती है और सीधा उस लड़की के पास जाती है। वो जैसे ही उस लड़की के पास जाती है तभी उसे खिंच कर थप्पड़ मार देती है। और गुस्से से कहती है, "तुम्हारी वजह से मेरी जिंदगी खराब हो गई मन्नत, क्या खुद के मां बाप तो है नहीं और अब हमे भी अनाथ कर दिया।"

मन्नत वहा चुप चाप खड़ी थी, उसकी काली आंखे अभी भी नीचे की ओर ही देख रही थी, वहा का माहौल एक दम से ठंडा हो गया था, मन्नत के गोरे रंग पर पांच उंगलियों के निशान छप चुके थे।

तभी इंस्पेक्टर गुस्से से कांस्टेबल से कहता है, "संभालो इस लड़की को।"

कांस्टेबल जल्दी से साषी को पकड़ लेती है और गुस्से से बोला, "ए लड़की सीधी खड़ी रहो।"

मन्नत के हाथ हथकड़ियों से बंधे हुए थे, तभी जो तीसरी लड़की ये सीन देख ही रही थी वो साषी की तरफ देखते हुए बोली, "साषी झूठ मत बोलो जितनी तुम्हारी गलती है उतनी ही उसकी भी है अकेला मन्नत की वजह से कुछ नहीं हुआ है।"

साषी उस लड़की की तरफ अपनी लाल आँखों से देखती है, जिसके सुर्ख गुलाबी होंठ जिसका न गोरा रंग था न उसका सांवला रंग, ग्रे आँखें, कंधे से नीचे जाते बाल, जिसने इस वक़त सफ़ेद रंग की मिडी डाल रखी थी।

साषी बोली, "नहीं जीवी सब इस लड़की की गलती है, काश इस सेल्फिश और घटिया लड़की से मुलाकात कभी ना होती इंस्टा पर, सही कहते हैं लोग हमेशा सुंदर लड़कियां फरेब और धोखा करती है।"

तभी इंस्पेक्टर उन दोनों को देखते हुए कहता है, "बिल्कुल चुप हो जाओ दोनों, वर्ना..."

साषी और जीवी दोनों चुप हो जाती है तभी एक दम से एक लड़का इन तीनो लड़कियों के सामने आकर खड़ा हो जाता है, जिसने इस वक्त सफेद रंग की शर्ट और काले रंग की पेंट पहनी थी, बालो को अच्छे से हेयरस्टाइल किए हुए थे, हाथो में कुछ फाइल्स पकड़ी हुई थी।

वो इंस्पेक्टर की तरफ धीरे से देखते हुए बिना किसी भाव के कहता है, "इंस्पेक्टर आप जानते हैं बॉस का गुस्सा, अगर इन्हे जेल में कोई भी सहूलियत मिलती है तो कानून से बहार आकर आपको कड़ी सजा मिलेगी"

और साफ-साफ सपाट लेहजे में कहा है, "मन्नत जैसी झूठी लड़की को जितना तड़पाया जा सके जेल में उतना तड़पाना होगा आपको!"

जो मन्नत काफी देर से नीचे फ्लोर को ही घूरे जा रही थी वो धीरे से अपनी आंख उठाकर उस शक्श को देखती है जिसने अभी ये सब कहा था, वो धीरे से उस शक्श की आँखों में देखते हुए कहती है, "उन्हें जरूर कहिएगा, हम नफ़रत करते हैं अब उनसे , i hate him till my death "

वो शक्श मन्नत की और देख रहा था जिसकी आंखे बस आंसुओं से भीगी हुई थी, वो धीरे से अपने मन में आह भरते हुए, "एक छोटी सी गलती की सजा मिल रही है, कितने cruel बॉस है।"

इंस्पेक्टर बस हा में सर हिला देता है और तीनो को वहां से ले जाता है।

आधे घंटे बाद.......

मन्नत, साषी और जीवी को एक ही जेल में बंद कर दिया गया था, मन्नत बस अपनी नज़र इधर उधर करके देख रही थी, तभी अचानक से साषी गुस्से से मन्नत के पास आती है और उसके बालो को खिचने लगती है और गुस्से से दांत पिस्ते हुए कहती है: "ये 6 महीने तुम्हारे दर्द भरे होंगे"

मन्नत की आँखों से आँसू गिर जाते हैं और वो दर्द में रोते हैं , "आह मुझे दर्द हो रहा है ....."

तभी जीवी साषी को खींचते हुए बोली, "साषी छोड़ो उसे, सब तुम्हारी गलती है उसकी नहीं।"

साषी गुस्से से जीवी को देखते हुए बोली, "लेकिन हमारी जिंदगी भी बर्बाद हो गई ना।"

मन्नत वहा कहीं कोने में जाकर बैठ जाती है और अपने घुटनों में सर छुपा लेती है और धीरे से मन में कहते हुए बोली, "मेरी मोहब्बत की एक छोटी सी गलती की सजा मिली है. काश मै आपसे कभी ना मिलु.. ..बातों से अट्रैक्ट हुई और अब आपकी ही हरकत से नफरत करूंगी जान। जान शब्द भी कहना दर्द दे रहा है, मेरा दिल आज टूट सा रहा है, मेरे दिल में दर्द हो रहा है।"

तभी मन्नत के कंधे पर कोई हाथ रख देता है, वो धीरे से अपना सिर उठाती है तो देखती है कि सामने जीवी खड़ी है, जीवी धीरे से बोली, "रो रही हो ?"

मन्नत ना में सर हिला देती है और जीवी को अपनी नजरों से देखते हुए बोली, "तुम नहीं कुछ कहोगी मुझे, गलती तो मेरी थी, तुम्हें बिना बात की सजा मिली।"

जीवी एक दम से अलग बैठ जाती है और उसकी की आंखों में देखती है फिर बोलती है, "मुझे इन सब से डर नहीं लगता मन्नत, 6 महीने हैं गुजर जाएंगे, बस मां बाप से दूर हो जाऊंगी मेँ और इस बात का दुख मुझे बहुत होगा। और वो भी इन सब में तुम्हारी गलती नहीं है तुमने हमे अवेयर किया था ,,,,,,"

मन्नत जीवी का हाथ पकड़ते हुए बोली, "जीवी.... तुम मेरी बहुत अच्छी दोस्त हो पर मैंने तुम्हें दर्द दिया है, तुम्हारी जिंदगी भी खराब कर दी है मैंने।"

क्या गलती थी इन तीनो की ? कोन था वो शख्श ? क्या होगा अब इन तीनो की जिंदगी में ? जानने के लिए पढ़ते रहिए falling for my heart criminal